आत्म कथा
आत्म कथा
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आत्म कथा लिखने बैठा, पत्नी, बच्चों ने रोक दिया।
क्या लिखते हो पापा जी मम्मी ने कितना साथ दिया।।
भूत काल को भूलो तुम हम सब अब साथ तुम्हारे हैं।
ईश्वर की कृपा रही हम पर सुधरे सब काम हमारे हैं।।
विपदाएं जो भी आई थी उनसे आप डरे थे कब।
तब तो आप अकेले थे अब तो आप के साथ हैं सब।।
विपदाओं से जो लड़ते हैं वो वीर पुरुष कहलाते हैं।
विपदाओं से जो लड़ ना सके वो भीरु पुरुष कहलाते हैं।।
आप ने जो कुछ बोया था वह फसल आज लहलहा रही।
आपके परिश्रम का फल है वो जलवा अपना दिखा रही।।
आपके पद चिन्हों पर चल हम लोगों ने वैभव पाया है।
सत् कर्मो पर चले बढ़े आपकी सेवा का फल पाया है।।
आत्म कथा वो लिखते हैं जिसको शान्ति नहीं मिलती।
आज आपको मिला है सब दुनिया इसी से है जलती।।
आप हमारे देव पुरुष सद् शिक्षा आप से है मिलती ।
बगिया के आप ही माली मम्मी ये है हरपल कहती।।
आपकी आत्म कथा को तो मम्मी हमें सुनाती हैं।
पतिदेव हमारे पुरुषार्थी गुणगान आपके गाती हैं।।
धन्य भाग हम सबके हैं जो आपके जैसा पिता मिला।
धन्य हुई जननी मेरी जिसको ऐसा पुरुषार्थी पति मिला।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Sachin dev
08-May-2023 09:27 PM
Nice
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अदिति झा
07-May-2023 07:31 PM
Nice 👍🏼
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